पदस्थ कर्मचारी की जगह अन्य व्यक्ति लगाते मिला सील
और कौन – कौन है शामिल ? कहां – कहां बंटता है रूपया !
कोरबा, 15 जुलाई 2024 ( बोल छत्तीसगढ़ ) जिले में खनिज जांच के लिए अलग-अलग मार्गो में खनिज जांच चौकी बनाया गया है और चौकी प्रभारी के साथ दो-दो सैनिक भी तैनात किए गये हैं, जांच चौकी को कोल खदानों, रेत, गिट्टी जैसे खनिजों से भरे वाहनों की जांच के लिए बनाई गई है, ताकि कोई भी क्षमता से ज्यादा और नियम के विरुद्ध मालवाहक परिवहन न कर सके किन्तु सारे नियमों का खुद खनिज विभाग पलिता लगाने में भिड़ा है, जहां देश में भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए शासन में आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो, सतर्कता विभाग, प्रवर्तन निदेशालय जैसे विभाग सेवा दे रहें हैं, वहीं जिले में कुछ एक विभाग गुपचुप तरीके से भ्रष्टाचार के काम को अंजाम दे रही है, जिसकी राशि दिखने-सुनने में बहुत कम नज़र आती है, किन्तु महिने में होने वाले कलेक्शन जो चाय-पानी के नाम से लिये जाते हैं वो लाखों में होता है , जिसपर भारवाहक गाड़ीयों के चालक ने बताया कि रूपये नहीं देने पर काग़ज़ रख लेते हैं, यहां तक कि इनके कांटे पर गाड़ीयां भी नहीं चढ़ती क्योंकि वे खराब है , तारीख 14 जुलाई को सुबह-सुबह 7:18 AM में जब सरई सिंगार, हरदीबाजार मैंनिग कांटे पहुंचे तो प्रत्येक गाड़ीयों से 20-20 रूपए चाय-पानी के नाम पर लेते हुए नज़र आया और उनसे पूछने पर अपना नाम हरिश बताया और मैनिंग कर्मचारी होना बताया जब हमने खनिज विभाग के लिस्ट को चेक किया तो उसपर उनका नाम नहीं था फिर उनसे पूछा गया तो फिर उन्होंने अपना परिचय खाना बनाने वाला बताया फिर पुष्टि के लिए चौंकी प्रभारी धरमपाल ईंदुलकर जी से फोन संपर्क करने की कोशिश की गई किन्तु कोई जवाब नहीं मिला , फिर 15 जुलाई को 11:34 AM पर पुनः संपर्क करने की कोशिश की गई किन्तु उनके द्वारा फोन नहीं उठाया जा रहा है । फिर हमने उनके WhatsApp में 11:51 AM पर उक्त व्यक्ति का फोटो भेजकर सूचना दी किन्तु किसी प्रकार का कोई जवाब या प्रतिक्रिया नहीं दिखा रहे, इससे ऐसा प्रतीत होता जैसे ये कृत्य सबकी जानकारी में है यदि इसकी जांच हो तो और भी लोग जो पर्दे के पिछे है सामने आएंगे और यह रूपया किस-किस को जाता है, वह स्पष्ट हो पाएगा ।
कितनी हो जाती है उगाही से कमाई !
प्रतिदिन लगभग 500 से 1000 गाड़ीयां खनिज नाकें से होकर गुज़रती है अब यदि एक गाड़ी से 20 रूपए तो 500 गाड़ीयों से 500×20 = 10000 रूपये होते हैं, और यदि ये संख्या 1000×20=20000 रुपये होते हैं महिनें में 10000×30=300000 रुपये और 20000×30=600000 रूपये एक कांटे रकम आ रही है ये कहीं न कहीं शासन के साथ धोखाधड़ी ही हैं कितनी ही गाड़ीयां बिना कांटे में चढ़े अगर पार भी हो रही है तो शासन को आखिर पता कैसे लगेगा
पदस्थ कर्मचारी की जगह अन्य व्यक्ति लगाते मिला सील
सूची के अनुसार धरमपाल इंदुलकर जी प्रभारी हैं और दो अन्य कर्मचारी में कहीं भी पारस नाम के व्यक्ति का उल्लेख नहीं है , फिर वे किसके कहने पे वहां बैठे मिले और धरमपाल इंदुलकर जी से इनका क्या संबंध है ! क्योंकि उक्त व्यक्ति विभाग से कोई संबंध नहीं रखता फिर अपना परिचय विभाग का होना बताया।