Arun Kumar Sandey

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अब पर्यावरण बना ऊर्जा का साथी, न बिजली जाती है, न जेब पर भार पड़ता है

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हर दिन सूरज से ऊर्जा, हर महीने बचत की गारंटी
अब ना तो मीटर की रीडिंग की चिंता होती है, ना ही बिजली बिल के संदेश का इंतजार – आयुष

कोरबा 02 जुलाई, 2025// ऊर्जा क्रांति की दिशा में लिए गए दूरदर्शी निर्णय आज आमजन के जीवन में राहत, सुकून और स्थायित्व का नया उजास भर रहे हैं। भारत सरकार एवं छत्तीसगढ़ शासन की ऐसी जनकल्याणकारी और महत्वाकांक्षी योजनाएं अब केवल विकास की कहानियाँ नहीं, बल्कि आम परिवारों के चेहरों पर मुस्कान लाने वाली वास्तविकताएं बन चुकी हैं। ये योजनाएं न केवल आर्थिक रूप से लाभकारी हैं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और आत्मनिर्भरता की दिशा में भी ठोस कदम साबित हो रही हैं। प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना ने देशभर में लाखों परिवारों को राहत दी बल्कि परिवारों को खुशियां दी जिसमें बिजली के साथ बचत भी है, और मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए बचत बड़ी बात है। यह योजना केवल पर्यावरणीय संरक्षण और स्थायी ऊर्जा के भी उपयोग की ओर एक सशक्त कदम भी है।
कोरबा जिले के डीडीएम रोड निवासी श्री आयुष अग्रवाल की कहानी इस योजना के जीवंत उदाहरण है। कभी बिजली का बिल श्री आयुष अग्रवाल के लिए एक चिंता का विषय था। डीडीएम रोड पर स्थित उनके घर में भारी बिजली की खपत है वो बताते है उनका संयुक्त परिवार है जिसमें सब एक साथ रहते है और सभी प्रकार के घरेलू उपकरणों का उपयोग किया जाता है जिससे बिल ज्यादा आता था। घर की मासिक बजट व्यवस्था प्रभावित होती थी। आयुष बताते हैं, “पंखा, कूलर, फ्रिज और ए.सी जैसे जरूरी उपकरण के उपयोग से बिजली की खपत ज्यादा होती थी। उनके यहां आम दिनों में भी 7 सौ यूनिट की खपत रहती ही है, गर्मियों में ये 12 सौ से 13 सौ तक हो जाती है।
प्रधानमंत्री सूर्यघर योजना के बारे में उन्हें उनके अपने जीजा जी से जानकारी मिलने के बाद आयुष ने योजना का लाभ लेने का निर्णय लिया। उन्होंने अपने ताऊ जी के नाम से आवेदन कर 10 किलोवाट का पैनल लगवाया, योजना के तहत उन्हें सौर ऊर्जा पैनल लगवाने के लिए सब्सिडी प्रदान की गई। आवश्यक प्रक्रिया जिला प्रशासन कोरबा और ऊर्जा विभाग की सहायता से सुचारू रूप से पूर्ण की गई और उनके घर की छत पर सोलर पैनल स्थापित कर दिए गए। सरकार की ओर से मिलने वाली सब्सिडी और तकनीकी मार्गदर्शन से मुझे पूरा भरोसा मिला। अब आयुष के घर का बिजली बिल लगभग शून्य हो गया है। पहले जहां हर महीने हजारों रुपये खर्च होते थे, अब वही पैसा बचत के रूप में जमा हो रहा है। इससे उन्हें मानसिक और आर्थिक दोनों ही स्तरों पर राहत मिली है। यह योजना न केवल आर्थिक रूप से लाभकारी है, बल्कि इससे पर्यावरण को भी काफी लाभ हुआ है। आयुष कहते हैं, “अब मैं गर्व से कह सकता हूं कि मैं प्रदूषण फैलाने वाले साधनों पर निर्भर नहीं हूं। हम पूरी तरह सौर ऊर्जा पर चल रहे हैं, जो स्वच्छ और हरित ऊर्जा का बेहतरीन स्रोत है।”
प्रधानमंत्री सूर्यघर योजना ने आयुष जैसे हजारों लोगों को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया है। अब वे न केवल अपनी जरूरत की बिजली स्वयं उत्पन्न कर रहे हैं, बल्कि आवश्यकता से अधिक उत्पादन होने पर बिजली को ग्रिड में भेजने की योजना पर भी विचार कर रहे हैं। यह योजना केवल एक योजना नहीं, बल्कि एक नई ऊर्जा क्रांति है जो आर्थिक स्वतंत्रता के साथ-साथ पर्यावरणीय संतुलन की दिशा में देश को आगे बढ़ा रही है।

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